Rediscover Mumbai https://rediscovermumbai.pukar.org.in from the eyes of barefoot researchers Tue, 13 Dec 2022 04:36:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/wp-content/uploads/2022/11/cropped-High-res-PUKAR-Logo-P-32x32.png Rediscover Mumbai https://rediscovermumbai.pukar.org.in 32 32 तीन तलाक़ और उसपर मुस्लिम समाज का नजरिया https://rediscovermumbai.pukar.org.in/18-easy-steps-for-planning-your-next-trip-perfectly/ https://rediscovermumbai.pukar.org.in/18-easy-steps-for-planning-your-next-trip-perfectly/#respond Fri, 18 Nov 2022 16:33:59 +0000 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/?p=559 तीन तलाक़ और उसपर मुस्लिम समाज का नजरिया Read More »

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Fellows: सबा शेख, हूमा फारुकी, गज़ाला अफरीन, अलफरनास सोलकर, नगमा शाह, मिस्बाह खान, पारस नाईक, एहतेशाम पीरज़ादे

Methodology: संख्यात्मक और गुणात्मक. ४१३ मुस्लिम महिला और पुरुष का सर्वे लिया, ३ सामाजिक संस्थाओं का इंटरव्यू लिया जो महिलाओं के लिए काम करती हैं, ३ एक्सपर्ट इंटरव्यू, एक महिला जिसका तीन तलाक़ हुआ है उसका इंटरव्यू लिया, दारुल कज़ा इस संस्था से मुलाकात

Localities: धारावी, वडाला, गोवंडी, मलाड, जोगेश्वरी, अंधेरी, दादर, वरली

२७ अगस्त २०१७ में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया जिसमे एक बार में दी जाने वाली तीन तलाक़ को असंवैधानिक करार दिया| उसके बाद सरकार ने ३ तलाक़ देने वाले मुस्लिम मर्द के लिए एक बिल बनाया जिसे १ दिन में लोक सभा में मंजूरी मिल गई| इस मुद्दे को लेकर हर जगह चर्चा हो रही थी बड़े बड़े लोग इस पर अपनी राय दे रहे थे लेकिन मुस्लिम समाज के लोग जिनके हक़ में ये क़ानून बनाने की बात की जा रही थी उनकी राय भी बहुत ज़रूरी है क्यूंकि इस कानून से उन्हें ही फायदा या नुकसान होगा| इसलिए हमारे कुछ फेलोज जो मुस्लिम समाज से थे उन्होंने इस विषय के बारे में सोचा और तीन तलाक पर मुस्लिम समाज का नज़रिया इसे अपना रिसर्च का विषय चुना| मुंबई के अलग अलग इलाके जहां मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा रहता है जैसे के गोवंडी, वडाला, धारावी, मालाड, जोगेश्वरी जैसे इलाकों में लोगों से बात की, इसके अलावा वरली, दादर और अंधेरी जैसे इलाको से भी कुल 413 मुस्लिम मर्द और औरत का सर्वेक्षण किया।

Findings: ४१३ लोगो के सर्वे में ४३% लोग २० से २९ साल के थे जिससे ये कहा जा सकता है के ज्यादा तर राय नौजवान लोगों की है। मुस्लिम समाज में शिक्षा का प्रमाण बहुत कम है जिसमे महिलाओं का शिक्षा दर एक चिंता का विषय है| इस सर्वे के दौरान ये भी पता चला जहां १४% अशिक्षित लोगो में ९०% महिलाएं थीं। सर्वे से पता चला के तलाक लेने का हक जैसे फस्ख ए निकाह, तलाक़ ए तफवीज और खुला के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं थी जिसमें महिलाओं का प्रतिशत ज्यादा है जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है के शिक्षा के अभाव और जानकारी की कमी की वजह से महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता होगा। ८१% लोगों ने तीन तलाक को गलत कहा जब उसी तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो ८४% लोगों के मुताबिक यह शरीयत में दखल अंदाजी है लोगो का कहना था के फैसला करना है तो मुस्लिम विद्वान उलमा और मौलानाओं के जरिए ही किया जाए इससे पता चलता है के अगर कोई फैसला सुप्रीम कोर्ट या सरकार के जरिए लिया जाता है तो लोग उसे तब्दीली को आसानी से स्वीकार नहीं करते।
तीन तलाक बिल जो सरकार के द्वारा पेश किया गया ७७% लोगों ने उसे गलत करार दिया |तीन तलाक बिल को लेकर लोगों के मन में यह डर था कि जब तलाक देने बाद अगर शौहर जेल में जाएगा तो कैसे वह अपनी बीवी और बच्चों का खर्चा संभालेगा? इसी तरह कानून का नॉन बेलेबल और कॉग्निजेबल ऑफेंस होना जिससे शौहर को बगैर वारंट के भी जेल में डाला जा सकता है, इन बात से लोगों के मन में डर दिखाई दिया इस कानून से महिला को इंसाफ की बजाय और ज्यादा तकलीफों का सामना करना पड़ेगा जैसे पुलिस के चक्कर लगाना कोर्ट में चक्कर लगाना वगैरा ऐसा लोगो का कहना था।

Limitations: रिसर्च में बहुत सी तब्दीली करनी पड़ी जैसे के target population को बदलना, रिसर्च मेथोडोलॉजी को बदलना और सर्वे को 100 से बढ़ा कर 400 तक करना। 3 तलाक जैसे चर्चित मुद्दे पर लोगो से बात करना भी 1 बड़ी चुनौती थी।

Recomm

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रेल्वेरुळालगत लगत पालेभाज्या उत्पादन करणाऱ्या लोकांचे आर्थिक व मानसिक जीवन https://rediscovermumbai.pukar.org.in/railways-vegetable-growers/ Fri, 18 Nov 2022 16:33:56 +0000 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/?p=560 रेल्वेरुळालगत लगत पालेभाज्या उत्पादन करणाऱ्या लोकांचे आर्थिक व मानसिक जीवन Read More »

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Barefoot Researchers’ Name
अंजली परशुराम रोडत आशीष अशोक शेडगे भक्ति देवदास गुरव ओमकार ज्ञानेश्वर साळवी प्रियांका रवींद्र जाधव

Methodology (number and type of methods)
मुलाखत ३० ( ३ स्त्रिया २७ पुरुष), फोटोग्राफी, मैपिंग

About the research (profile of researchers and why)
गटातील प्रत्येकाचे कुटुंब हे शेतीशी जोडले गेले होते त्याच बरोबर २००८ या वर्षी १९६६ , २०१३ या वर्षी १२९६ आणि २०१८ या वर्षी २७६१ शेतक-यानी आत्महत्या केली हि बातमी समोर आली. ‘शेतक-याच्या आत्महत्येची कारणे जाणून घेण्यासाठी गटाची तयारी झाली पण मुंबईत शेती नसल्याने हि कारणे जाणून घेणे कठीण झाले. तेव्हा गटातल्या काही सदस्यांच्या लक्षात आले कि मुंबईत रेल्वे रुळालगत शेती करणाऱ्या लोकांचा समूह रहातो आणि मग गटाने ” रेल्वे रुळालगत भाजीपाला उत्पादन करणाऱ्या लोकांचे सामजिक आणि आर्थिक जीवन अभ्यासणे ” हा विषय निवडला

Findings
१) भाजीपाला उत्पादन करणारे बहुंताश लोक हे उत्तरप्रदेश या राज्यातून आलेली आहेत. २) जास्त शेतकरी हे एस.सी, एस.टी, ओ.बी.सी, या जातीचे आणि ४१ ते ७० या वयोगटातले होते. ३) बेरोजगारी, मजबुरी तसेच अशक्त बाजार पेठ आणि मुंबईतील अधिक उत्पन्न मिळवून देणारी बाजार पेठ स्थलांतरचे मुख्य कारण आहे. ४) या शेती मध्ये फक्त पालेभाज्यांचे उत्पादन घेतले जाते आणि त्यांना लागणारे अवजारे, बी-बियाणे हि कल्याण पाठरे नर्सरी तसेच भायखळा, कांदिवली येथून आणली जातात. ५) जमीन हि रेल्वेच्या मालकीची आहे आणि कसण्यासाठी देण्यात आलेल्या जमिनीचा कालावधी अनिश्चित आहे तसेच जमिनीचे भाडे तसेच भाडे भरण्याचे ठिकाण निश्चित नाही. ६) जास्तीत जास्त ठिकाणी “जिथे नाला तिथे शेती” आढळून आले. ७) भाजीपाला उत्पादन करणाऱ्या ह्या समाजाला रेल्वेकडून जमिनी व्यतिरिक्त कोणत्याही प्रकारच्या मुलभूत सुविधा मिळत नाही

Action and advocacy
PPT आणि Chart पेपर च्या माध्यमातून Advocacy मानखुर्द, ठाकुर्ली, विलेपार्ला, सानपाडा या ठिकाणी करण्यात आली.

Recommendations
१) उत्पादन करणा-या करीता जमिनी रूप भाडे निश्चित करावे आणि ते भरण्यासाठी निश्चित ठिकाणाची निर्मिती करावी. २) भाजीपाला उत्पादन करणाऱ्या समाजाला वीज, पाणी आणि शौचालय या मुलभूत सुविधा उपलब्ध करून देणे. ३) शेतीसाठी लागणारे पाणी हे नाल्यातून न घेता योग्य ते पाणी उपलब्ध करून देणे. ४) उत्पादन देत असलेल्या जागेपासून ते रेल्वे स्थानकापर्यंत जाण्यासाठी कुठली हि पायवाट नसल्यामुळे त्याना सुरक्षित पायवाट उपलब्ध करून देणे.

Limitations

  • मुंबईत रेल्वे रुळालगत शेती करणारे लोक – मुंबईशी जोडले गलेली रेल्वे लाईन

Locality
चर्चगेट ते विरार, CST ते बदलापूर, वडाळा ते पनवेल.

Keywords (4+)
शेती, रेल्वे प्रशासन

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Rediscovering Mumbai’s Forgotten Poisar River  https://rediscovermumbai.pukar.org.in/travel-blogging-for-beginners-in-7-easy-steps/ https://rediscovermumbai.pukar.org.in/travel-blogging-for-beginners-in-7-easy-steps/#respond Fri, 18 Nov 2022 16:33:54 +0000 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/?p=561 Rediscovering Mumbai’s Forgotten Poisar River  Read More »

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Youth Fellows: Kiran Kakade, Prasanna Shikhare, Shweta Dicholkar, Prachiti Parab, Aman Verma, Rutuja Joshi, Jasleen Kaur, Aarti Nandrekar, Suraj Rankhambe

Methodology
Type of toolNumberSocial description about the research participants (age group, gender, etc.)
Survey100Random sampling, representing a mix of age groups and sexes 
Interviews2Practitioners in the field of rivers

Why did the group choose this topic? 

The researchers wanted to understand why the Poisar river is severely polluted, how community members interact with the river and the effectiveness of policies and plans introduced by the government and NGOs. 

Summarise 3-5 key findings

  • Causes: The pollution in the river was caused primarily due to dense urbanisation, construction, and industrial activity. 41% of respondents felt the pollution started by the year 1990. That was the same year that liberalisation took place at the national level in India, boosting urbanisation, consumerism and privatisation.
  • Flooding: the area beside the river is low-lying and flood-prone. Several respondents shared facing floods over two-three times every monsoon. They have also spotted snakes from the river during the floods. 16% repeatedly emphasised that flooding in the monsoon season was a significant problem along with rising water levels. 
  • Public participation: 90% said they do not use the river, and 87% said they had not participated in any initiatives to clean the river. This data does not mean that they are numb to the river. Eighteen respondents said that they felt sad seeing its deteriorating condition. Many said that watching the once clean river becoming polluted drastically was disheartening to them. Twenty-three respondents expressed concerns over the river’s increasing pollution and filth. 
  • Accountability: 65 respondents said that the people living close to the river are responsible for its present state. Fifty-three respondents said pollution from small and large-scale industries has led to its current state. Only 35 people held the government responsible. 
  • Garbage: When asked where they throw their garbage, 79% said they give it to operators of garbage vans, and 10% said they throw it in the river. Municipal vans do not go inside lanes due to their narrow width. There is a scarcity of public dustbins 
  • Bathrooms: drainage pipes of public washrooms were often left open, and the sewage flowed directly into the river at several points of the river. Many toilets had broken doors and walls. 
  • Health: participants felt the river negatively impacted their health in multiple ways. Twenty-two respondents mentioned that they were affected by mosquito-borne illnesses. Seventeen respondents noted that the foul smell of the river caused feelings of nausea. Sixteen respondents cited conditions such as cold, cough and fever.  Other respondents shared answers such as breathing problems, narrating the death of a child due to a disease they felt was caused by the river and the death of pigs and other animals due to the toxicity in the river water.

Action/advocacy work

The advocacy phase started when an unprecedented COVID-19-induced lockdown was in force. The group created Facebook and Instagram pages to share their findings with Mumbaikars. They wrote blog posts and ran hashtag campaigns on Twitter. 

Recommendations 

  • Implement prior recommendations by reports such as the Fact Finding Committee on Mumbai Floods (2006), River Regulation Zone Policy and more. 
  • River restoration and rejuvenation: authorities should relocate habitations that are 50 m on either side of the banks. Growing grass and shrubs will enhance drainage. 
  • Education: add information about rivers in school curriculums and through the media. 
  • Art and culture in public spaces to raise awareness about the importance of rivers
  • Address needs of the community: livelihoods should be generated 
  • Tribal communities residing by the river must be included in the decision-making process, and their right to land should be recognised 
  • River helpline: to improve coordination between the community and the government. Residents can use the helpline to voice their opinions and file complaints about any harmful activities related to garbage dumping, concretization-related activities and more. 

Locality name 

Kandivali, Mumbai

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कर्जत विभाग कातकरी समाजातील मुलींचे बालविवाह https://rediscovermumbai.pukar.org.in/europe-im-gonna-miss-you-my-6-favorite-hidden-gems-in-europe/ https://rediscovermumbai.pukar.org.in/europe-im-gonna-miss-you-my-6-favorite-hidden-gems-in-europe/#respond Fri, 18 Nov 2022 16:33:52 +0000 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/?p=562 कर्जत विभाग कातकरी समाजातील मुलींचे बालविवाह Read More »

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Barefoot Researchers’ Name
सपना पाशिलकर खंडू मंजुळे माधुरीदेवी कुमार प्रवीण खंडवी दर्शना शेट्ये अंजली देशमुख

Methodology (number and type of methods)
मुलाखात ४८ (२० विवाहित महिला, १८ अविवाहित मुली, ४ अंगणवाडी सेविका, ३ पालक, १ सरपंच, २ संस्था प्रतिनिधी आणि आशावर्कर) ५ गावांमधून ८७ घराचे सर्वेक्षण

About the research (profile of researchers and why)
कर्जत या विभागामध्ये बऱ्याच ठिकाणी आदिवासी हि जमात प्रामुख्याने दिसून येते यात महादेव कोळी, ठाकूर आणि कातकरी या जमातीचा समावेश आहे. कातकरी समाज येथे सर्वात जास्त प्रमाणात दिसून येतो. महादेव कोळी, ठाकूर या जमाती पेक्षा कातकरी समाज जास्त मागासलेला दिसून आला. बहुतांश या लोकांना ६ ते ८ महिने रोजगारासाठी स्थलांतर करावे लागते. अशावेळी शाळेत जाणारी मुले देखील पालकांसोबत स्थलांतर होतात. ज्या मुली वयात आल्या म्हणजे मासिक पाळी सुरु झाली कि त्यांना सोबत घेऊन जाणे जिकरीचे होऊन जाते त्यामुळे मुलींच्या मतांना महत्व न देता त्यांची लग्न करून दिली जातात. २१ व्या शतकात हि मुलींचे लग्न १८ वर्षाच्या अगोदर झाल्यास मुलींवर आणि कुटुंबावर त्याचा काय परिणाम होतो आणि ते थांबविण्यासाठी कोणत्या प्रकारची उपाय योजना करू शकतो हे जाणून घेणे गरजेचे वाटले त्यामुळे हा विषय निवडण्यात आला.

Findings
१) मुलगी वयात आली म्हणजे तिला मासिक पाळी सुरु झाली कि तिचे लग्न करून दिले जाते. २)कातकरी समाजातल्या बऱ्याच मुलींचे लग्न १३ ते १५ या वयात झाले आहे. ३)कुटुंबाचे होणारे हंगामी स्थलांतर, प्रवासाच्या समस्या, आर्थिक परिस्थिती, कुटुंबाची जबाबदारी इत्यादी कारणामुळे मुलींचे पुढचे शिक्षण होत नाही कारण गावात ८वी इयत्ते पर्यंत शाळा आहे. ४) कमी वयात लग्न झाल्यामुळे गरोदर पणात त्या मुलीचे किंवा बाळाचे मृत्यू झाले आहे तर काही बाळ अशक्त आणि कुपोषित जन्माला आले आहेत. ५) लिव्ह इन रिलेशनशिप ला कातकरी समाजात विरोध केला जात नाही. ६) लहान वयात गरोदर राहिल्यामुळे मुली डॉक्टर कडे जात नाही कारण कमी वयात लग्न केले आणि गरोदर राहिल्यामुळे डॉक्टर त्या मुलीना ओरडतात.

Action and adovcacy
वेनगाव कातकरवाडी (गावकरी, पालक, अंगणवाडी सेविका, आशा वर्कर, सरपंच, GP सदस्य, गावतील डॉक्टर एकूण ६० लोकांसोबत) मुगपे कातकरवाडी (गावकरी, पालक, अंगणवाडी सेविका, आशा वर्कर, GP सदस्य एकूण ३० लोकांन सोबत) तामनाथ कातकरवाडी (गावकरी, पालक, अंगणवाडी सेविका, आशा वर्कर, GP सदस्य एकूण ४५ लोकांन सोबत)

Recommendations
१) सामाजिक संस्था, सरपंच, अंगणवाडी सेविका, तसेच गावातील प्रभावशाली व्यक्ती यांची मदत घेऊन कार्यक्रम राबविणे आणि कातकरी समाजात शिक्षणा संदर्भात जनजागृती करणे. २) किशोरवयीन मुली आणि विवाहित महिला यांना बालविवाह केल्याने स्त्रियांच्या शारीरिक, मानसिक आरोग्यावर काय परिणाम होतात हे समजून सांगणे. ३)ज्या मुली शिकत नाहीत किंवा विवाहित मुलींसाठी व्यवसाय प्रशिक्षण, विविध कोर्स यांची माहिती देणे. ४)शिक्षण घेत असलेल्या मुली ज्यांना पुढे शिकण्याची इच्छा आहे त्यांना सामाजिक संस्थेशी संपर्क घालून देणे. ५) गावातल्या सरपंच यांचाशी बोलून महिलांसाठी गृहउद्योग सुरु करण्यासाठी प्रोत्साहित करणे.

Limitations

  • कर्जत येथील आदिवासी पाडे आणि गाव. – कातकरी समाज. – १८ वर्ष अगोदर लग्न केलेल्या विवाहित महिला. – गावातले आदिवासी समाजातले रहिवाशी

Locality

चर्चगेट ते विरार, CST ते बदलापूर, वडाळा ते पनवेल.
सेन्ट्रल, हार्बर,वेस्टर्न रेल्वे लाईन
दादर – नायगाव
कर्जत मधील ५ गावे वेनगाव, लाडीवली, तमनाथ, मुगपे आणि पळसदरी

Keywords (4+)
कातकरी समाज (आदिवासी), शिक्षण, बालविवाह,

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Problems Faced By People Due To Non-Functional Toilets In Jai Bhim Nagar, Powai https://rediscovermumbai.pukar.org.in/heres-everything-you-need-to-travel-the-world-in-3-easy-steps/ https://rediscovermumbai.pukar.org.in/heres-everything-you-need-to-travel-the-world-in-3-easy-steps/#respond Fri, 18 Nov 2022 16:33:50 +0000 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/?p=563 Problems Faced By People Due To Non-Functional Toilets In Jai Bhim Nagar, Powai Read More »

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Youth Fellows: Karan Kamble, Nandlal Bind, Shaheen Shaikh, Shivnarayan Sharma, Shivshankar C. Velayudhan, Shubham Dubey

Methodology
Survey
200
100 Male and 100 Female. Almost all the homes were covered under the survey by getting at least one respondent from each household. majority of the respondents were between 18 to 37.

Why did the group chose this topic?

Residents living in Jay Bhim Nagar have faced Problems like no proper sanitation facilities; unhygienic environment, high malnutrition rate, low literacy rate, no drainage and sewage system, non-functional toilets, exploitation by contractors, etc. Due to all the above atrocities the entire community has been going through, we decided to do research in this community and find sustainable solutions to it one of the basic problem i.e. Sanitation.

Introduce the research topic in one sentence

Research throws light on how Sanitation affects people, what problems they face when there is a limited or almost no access to proper toilets, how open defecation plays a role in lives of residents and analyzing solutions to their issues.

Summarise 3-5 key findings

-90.5% said that they are not having any proper functional toilets in the community and those which are available out of them 98.5% of the people said that the condition of toilets is bad.
-Majority of the respondents said that the condition of the public toilets in Jai Bhim Nagar is Bad i.e. 98.5% and the people who said that the condition is Good accounts for merely 1.5% of the total respondents.
-87% residents don’t feel safe to use public toilets in Jai Bhim Nagar during night time.
-95.7% respondents said they have to stand in a queue to use the public toilet and majority of them said it takes even upto 30 minutes.
-99.5% respondents said that there is no separate toilet facility available for differently-abled people.

  • 70% population have stated that people of Jai Bhim Nagar defecate in open area. 55.6% of them said problems faced by them are diseases, 35.8% of them stated dirtiness & bad smell, 16.6% said Mosquitoes and 9.9% highlighted bad effect on environment.

Action/advocacy work

  1. Online campaigns like signing petitions on Change.org to raise issues among the public at large.
  2. Conducting online awareness sessions for residents to raise awareness about maintain public toiltes, keeping hygiene,etc.
  3. Physically meeting every house and making them aware about their rights, importance of sanitation & Garbage segregation.
  4. Online fundraising and collaboration with some NGOs led to successful construction of 10 Public Toilets.

Recommendations

  1. Sensitizing and creating awareness in the community on various issues like cleanliness, personal hygiene, sanitation, healthy lifestyle, bad effects of open defecation, malnourishment, etc through various mediums like street play, workshops, lectures, competitions, etc.
  2. NGOs working in the field of Labour rights can help the labourers in Jai Bhim Nagar Community knowing their rights and fighting for it.
  3. Government and NGOs should take proactive measures in encouraging and ensuring equal educational opportunities for children in Jai Bhim Nagar.
  4. BMC garbage collectors should collect the community garbage strictly on a regular basis.
    -BMC can help in renovating the old existing cement constructed toilets in Jai Bhim Nagar by fixing the sewage problem and making it available for the residents.
  5. Private Companies can play an important role by taking an initiative to build/ setup toilets in this community under CSR Activity.
  6. The residents of Jai Bhim Nagar should form a Community Based Organization (CBO) for looking after the maintenance of community toilets.

Locality name
Jai bhim nagar, Powai, Mumbai.

Please share four keywords that relate to your research
Sanitation Open Defecation Public Toilet JaiBhim Nagar

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Out of school विद्यार्थियों का अभ्यास, कुंचिकुर्वेनगर, धारावी https://rediscovermumbai.pukar.org.in/my-61-best-tips-to-make-you-the-worlds-savviest-traveler/ https://rediscovermumbai.pukar.org.in/my-61-best-tips-to-make-you-the-worlds-savviest-traveler/#respond Fri, 18 Nov 2022 16:33:48 +0000 https://rediscovermumbai.pukar.org.in/?p=564 Out of school विद्यार्थियों का अभ्यास, कुंचिकुर्वेनगर, धारावी Read More »

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Barefoot Researchers’ Names: ऋषिकेश जैसवार, शैलीना खान, शाकिब खान, लक्ष्मी मिश्रा, प्रगति वैश्य, शुभम शर्मा, अमन मिश्रा, संतोष विश्वकर्मा

Locality: धारावी (कुंचिकोर्वे नगर)

Methodology: संख्यात्मक: ५० ड्रॉप आउट विद्यार्थियों और उनके पालकों का सर्वेक्षण। सामाजिक संस्था से जुड़े लोगों से बातचीत

About the research: एक ऐसा समुदाय जिसका इतिहास काफी लम्बा और तनाव भरा रहा है आदिवासी समाज के लोग जो अलग अलग राज्यों से आ कर धारावी में कुंचिकोर्वे नामक जगह पर बसे हैं और ज्यादा तर झाड़ू बनाने, कचरा साफ़ करने, बर्तन बेचने और भीक मांगना जैसे कामो से जुड़े हुए हैं| धारावी में रहने वाले कुछ युवा जो कुंचिकोर्वे नगर में बरसों से रहते हैं और इस समाज के लोगो को उन्होंने करीब से देखा है बढ़ते हुए| अशिक्षा और ड्राप आउट को देखते हुए उन्होंने इस रिसर्च के ज़रिये इसकी वजह जानने की कोशिश की है|

Findings
1) कुंचिकोर्वे समाज के लोग ज़्यादा तर कैकाडी, कन्नडा ही समझते है उनके लिए किसी और भाषा में पढ़ना मुश्किल होता है यही वजह है के 72% लोग माध्यमिक शिक्षा के दौरान ही ड्राप आउट हो गये|
2) 49% लोग ड्राप आउट होने के बाद ज्यादा मेहनत और कम पगार वाले काम जैसे कचरा उठाना, मजदूरी करना, धागा काटना, सामान डिलीवरी करना, न्यूज़ पेपर पहुँचाना आदि काम करते हैं जबके 51% लोग कोई काम ही नहीं करते है|
3) लगभग हर किसी का ये मानना था के पढाई बहोत ज़रूरी है इसलिय वो दुसरे विद्यार्थियों को आगे पढ़ने के लिये प्रोत्साहित करते हैं और 37% लोगो का कहना था के वो अपनी अधूरी पढाई को पूरा करना चाहते हैं|
4) 45 % लोगों ने बताया के उनका सपना था के वो पढ़ लिख कर कोई काम करे लेकिन कई आर्थिक मजबूरियों और सामाजिक कारणों से पढाई छोड़ दी| जिसमे 75% बच्चों के रूचि न होने का कारन घर संभालना और अपने छोटे भाई बहने की देख भाल करना है|

Action and advocacy: कुंचिकोर्वे नगर में 2 Events किये जहाँ stall लगाए गए और अलग अलग NGO जैसे अन्तरंग संस्था से लोगों को बुलाकर युवाओं को उनसे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया ताके उन्हें अपनी पढाई पूरी करने या करियर में दिशा मिलने में मदद मिल सके|

Recommendations: विद्यार्थियों को शैक्षणिक लोन और स्कोलरशिप के बारे में जागरूक करना
जिस भाषा में बच्चों को समझ आए उसी भाषा का इस्तेमाल पढ़ाई के लिय करना चाहिए
खेल कूद के माध्यम से बच्चों में रुचि बढ़ानी चाहिए|
कम्युनिटी के बच्चों और सामाजिक संस्था के साथ मिल कर शिक्षा के महत्त्व को बढ़ावा देना चाहिए |

Limitations: इलाक़े में अकेले सर्वे लेते समय डर का माहोल इसलिय सर्वे लेने में दिक्कत, कुछ लोग इलाक़े से दूर रहते थे इसलिय लोगों से जानकारी के लिय समय मिलने में तकलीफ हुई

Keywords (4+): Tribal community, Dharavi, Education, Dropout, students,

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